दुआ करिए ग्रहण से मुक्ति मिले
सूर्य पर ग्रहण लगा है. सभी परेशान हैं. अपने अपने घरों में दुबक कर सूर्य को मुक्त करने की कामना कर रहे हैं. कोई कुछ भी करे तीन घंटे में सूर्य मुक्त हो जायेंगे. पर जो ग्रहण समाज पर लगा है उससे मुक्ति कब मिलेगी कोई अंदाजा नहीं लगा सकता.
बच्चे इन दिनों छुट्टियां मना रहे हैं. कान्वेंट में पढने वालों की पिकनिक है. पर सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चे अपने अपने काम पर लग गए हैं. उन्हें रोटी चाहिए. दोपहर में मिलने वाली उनकी रोटी पर स्कूलों में प्रधान जी और माट साहब का ग्रहण रहता है. अब मौसम का ग्रहण है. मनरेगा से बहुतों को रोजगार की उम्मीद हैं. साल में सौ दिन काम सपना है क्योंकि इस योजना पर प्रधान जी और उनके लोगों का ग्रहण लग गया है. विधवा पेंशन , किसान पेंशन और विकलांग पेंशन का गड़बड़झाला किसी से छिपा नहीं है. यहाँ लोग टेंशन में हैं क़ि पेंशन मिले और परलोक गए लोगों के नाम चेक कट रहा है. यमराज से भी पंगा लेने में कोई डर नहीं है. ऐसे निडर लोगों का ग्रहण तो सभी सरकारी योजनाओं पर लगा है.
ग्रहण तो भारत – नेपाल सीमा पर भी लगा है. प्रचंड को अब भारत में नेपाल की जमीन दिखने लगी है. चीन मिसाइलों का प्रयोग करके भी भारत पर ग्रहण बनना चाहता है. आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर ग्रहण है. भारत में ठाकरे परिवार का पूरबियों पर ग्रहण हैं तो विदेश से आने वाले मेहमानों पर भी ग्रहण बनना चाहते हैं. ग्रहण तो राजनीति में भी लग गया है. जेब कतरों से लेकर उठाईगीर, लुटेरे और हत्यारे माननीय हो गए हैं. विधान परिषद् में अभी चुने गए बहन जी की पार्टी के ३४ लोगों में कई ऐसे हैं जिन पर भारतीय दंड विधान की धाराओं का बोझ है. वे सब अब क़ानून बनायेंगे. कितने बड़े ग्रहण हैं.
गाँव गाँव में ग्रहण है. पूरे मुल्क में ग्रहण है. पूरी दुनिया में ग्रहण है. यह ग्रहण लम्बे समय तक रहने वाला है. हमारे यहाँ लोग रामजी क उग्रह बोलकर सूरज की मुक्ति की दुआ कर रहे हैं. हम तो कह रहे हैं क़ि ऐसा मौक़ा फिर कई साल बाद आयेगा. वैज्ञानिकों का तर्क है क़ि कितने समय बाद इस तरह का सूर्य ग्रहण लगा है. तो भाई आप सब लोग भारतीय समाज और दुनिया पर जो ग्रहण लगे हैं उनसे मुक्त होने की कामना करिए. आप दुआ करिए क़ि हम सब शुद्ध हो जाएँ. हमारी सियासत के ग्रहण छंट जाए, हमारे बच्चों के ग्रहण छंट जाएँ और हमारी पूरी व्यवस्था का ग्रहण छंट जाय. बहुत उपकार होगा. सब सुखी रहेंगे, सब आबाद हो जायेंगे. इस साल दैनिक जागरण ने साल की शुरुआत में ही उम्मीदों की एक लौ जलाई. यह जानते हुए क़ि सरकारी मशीनरी गड़बड़झाला कर रही है, उसकी योजनाओं के सकुशल पूरा होने और सबके चेहरे पर खुशहाली लाने की उम्मीद जगाई है. दुआ करिए क़ि सरकारी व्यवस्था पर लगा ग्रहण समाप्त हो जाए और हमारी उम्मीद पूरी हो.
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