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पूर्वांचल में सियासत का महासमर

अनुभूति
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शनिवार को गोरखपुर में सियासी उबाल की नींव पडी। इधर हिन्‍दुओं के अगुवा और गोरक्षपीठ के उत्‍तराधिकारी योगी आदित्‍यनाथ अपनी युवा वाहिनी के दिलों में ऊर्जा भर रहे थे और उधर समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक डा: मोहसिन अहमद शहर-ए-काजी मौलाना वलीउल्‍लाह साहब को लेकर मुसलमानों को एकजुट कर रहे थे। एक ही दिन गोरखपुर से दो संगठनों ने अपनी ताकत बढाने के लिए नयी कवायद शुरू की। मोहसिन की सभा में तय हुआ कि 2 मार्च को दिल्‍ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी गोरखपुर में आयेंगे। इस जलसे में पूर्वांचल के मुसलमान शामिल होंगे। सच्‍चर कमेटी, रंगनाथ मिश्र और लिब्रहान आयोग की सिफारिशों को लागू कराने और उस पर कार्रवाई की मांग को लेकर अब उन लोगों की आवाज मुखर है। मुस्लिम मजलिस अमल के जरिये इन लोगों ने अपनी एकजुटता दिखाने की पहल की है। इनकी एकजुटता का असर तो मियां साहब इस्‍लामियां इण्‍टर कालेज के हाकी मैदान में 2 मार्च को देखने को मिलेगा जब शाही इमाम आयेंगे। लेकिन इन लोगों ने 14 तारीख को अपनी रणनीति बनाने के लिए अपनी कौम के लोगों की जुटान की है। इसके लिए शूरमाओं को संदेश पहंुचाया जा रहा है।

गौरतलब है कि  अभी कुछ दिन पहले गोरखपुर में अमर सिंह आये थे। उन्‍होंने तकरीबन वही बात दुहरायी जो मुस्लिम मजलिस अमल की बैठक में तय किया गया है। अमर सिंह ने कहा कि वे मुसलमानों के हक के लिए मौलाना ओबेदुल्‍ला, पीस पार्टी, नेलोपा और उन सभी संगठनों के लोगों से बातचीत करेंगे जो मुसलमानों के हित की बात कर रहे हैं। कुछ लोगों ने तब यह प्रचारित किया था कि अमर सिंह गोरक्ष मंदिर जाकर बाबा से मुलाकात करेंगे लेकिन अमर सिंह वहां नहीं गये। जिस क्षत्रिय महासभा के बैनर पर वे यहां कार्यक्रम में शिरकत करने आये थे उस महासभा के अध्‍यक्ष हरिवंश सिंह ने बाबा से जाकर मुलाकात की। पर अमर सिंह नहीं गये।

माना जा रहा है कि पूर्वांचल में सभी दलों के नेताओं की निगाह टिकी है। बहुजन समाज पार्टी  ने चार बार से विधान परिषद सदस्‍य चुने जा रहे गणेश शंकर पाण्‍डेय को विधान परिषद का सभापति बना दिया तो भाजपा ने यहीं के एमएलसी विनोद पाण्‍डेय को मुख्‍य सचेतक। सपा ने बस्‍ती के ब्रजभूषण तिवारी को राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष, देवरिया के मोहन सिंह को प्रवक्‍ता और राष्‍ट्रीय महासचिव तैनात कर दिया। दूसरे अन्‍य दलों में भी पूर्वांचल के लोगों को तरजीह मिल रही है। यह माना जा रहा है कि पूर्वांचल सियासत का सबसे बडा गढ बनने जा रहा है। चूंकि इधर पूर्वांचल राज्‍य के मुद़दे को भी हवा मिल रही है और अब इसकी कमान अमर सिंह पकडने जा रहे हैं इस नाते भी पूर्वांचल सबकी निगाहों के केन्‍द्र में है।

इस बात की चर्चा इसलिए प्रासंगिक है कि एक तरफ योगी आदित्‍य नाथ भाजपा की लकीर को छोडकर अपनी ताकत की एक बडी लकीर बना रहे हैं तो दूसरी तरफ मुस्लिम मजलिस अमल के बैनर से मुसलमान एकत्र हो रहे हैं। जो शहर-ए-काजी मौलाना वलीउल्‍लाह कभी किसी सियासी जलसे में शामिल नहीं हुये वे शनिवार के सम्‍मेलन की सदारत किये। मुझे याद है जिन दिनों गोरखपुर में कफ़र्यू लगा था, मौलाना वलीउल्‍लाह अपने घर पर छोटे बच्‍चों को तालीम दे रहे थे। मैंने शहर के हालात पर बातचीत शुरू की तो बोले- मैं तो लोगों से यही कहूंगा कि न तुम हमको मारो, न हम तुमकों मारें। मौलाना को लेकर गैर सियासी मजलिस के बहाने ही सही लेकिन अपनी ताकत की जुटान करना एक नये तरह का संकेत है। यघपि यह कहा जा सकता है कि शनिवार के कार्यक्रम को उन लोगों ने गैर राजनीतिक करार दिया था लेकिन बात सियासत की ही हुई। खुद मौलाना ने सबको एकजुट करने के लिए पहल की और अपने लोगों को पूर्वांचल के जिलों में जनसम्‍पर्क के लिए निकल जाने को कहा। मौलाना की यह पहल वाकई सियासी समझदारों के कान खडे करने वाली है। पूर्वांचल में इस बार बेहद चतुराई से हर लोग अपनी अपनी खिचडी पका रहे हैं। पूर्वांचल सियासत का महासमर बनने जा रहा है। अब देखना यही है कि यहां किसकी कितनी दाल गलती है।  कुछ समझदार लोग यह भी कहने लगे हैं कि अब पूर्वांचल में एक नया गेम शुरू होने जा रहा है- तुम मुझ पर तानों- हम तुम पर तानें—- खैर जो हो लेकिन यहां तो चट़टी चौराहे पर संसद और विधानसभा की बहसें चलती हैं। लोग बहुत समझदार हो गये हैं। कोई रणनीति बाद में बनती है, उसकी आहट पहले ही भांप लेते हैं।

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