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छोटे दलों ने पूर्वाचल राज्य को बनाया हथियार

अनुभूति
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राजनीतिक जमीन तलाशने की गति ने भी तेजी पकड़ी

आनन्द राय

लखनऊ, 11 मार्च : पूर्वाचल को अलग राज्य बनाने के मुद्दे को छोटे राजनीतिक दलों ने फिर हवा देनी शुरू कर दी है। कौमी एकता मंच, लोकक्रांति मोर्चा, लोक मंच व पूर्वाचल राज्य बनाओ दल के एजेंडे में पूर्वाचल राज्य का मुद्दा प्राथमिकता पर है। पूर्वाचल के साथ भेदभाव व नाइंसाफी का नारा उछाल कर रैलियों और जनसभाओं की शुरुआत हो गई है।

पूर्वाचल को अलग राज्य बनाने के मसले पर स्वयंभू संगठनों से लेकर राजनीतिक दलों ने अरसे से आवाज बुलंद की है, लेकिन कभी यह पुरजोर तरीके से चुनावी मुद्दे के रूप में सामने नहीं आया। रालोद, पीस पार्टी, भारतीय समाज पार्टी व जनवादी पार्टी के गठजोड़ से बना लोकक्रांति मोर्चा अब पूर्वाचल राज्य, हरित प्रदेश और बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई तेज करने जा रहा है। लोकमंच के संस्थापक अमर सिंह का भी सबसे बड़ा एजेंडा पूर्वाचल राज्य की मांग है। कौमी एकता दल के एजेंडे में भी पूर्वाचल राज्य शामिल है, जबकि पूर्वाचल राज्य बनाओ दल का गठन ही इसी मुद्दे पर हुआ है।

लोकक्रांति मोर्चा के प्रमुख नेता भासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कहते हैं कि ‘पूर्वाचल के विकास के नाम पर सरकारों ने जनता को छला है। सरकार ने छह जिले के बुंदेलखंड को 120 करोड़ रुपये विकास के लिए दिए, जबकि 27 जिले के पूर्वाचल को महज 50 करोड़ दिया गया। यह घोर उपेक्षा है, इसलिए लोकक्रांति मोर्चा ने लड़ाई तेज कर दी है।’

जनवादी पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान कहते हैं कि ‘आजादी के बाद से ही पूर्वी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा हुई है और यहां के कल-कारखाने बंद होते गए’। कौमी एकता दल के शेख अब्दुल्ला और पूर्वाचल राज्य बनाओ दल के डॉ. सुधाकर पांडेय भी विकास के लिए पूर्वाचल राज्य का गठन जरूरी बताते हैं।

आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा अंचल : पूर्वी उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा अंचल है। इस अंचल में 28 जिले हैं। जहां 147 विधानसभा क्षेत्र और 28 लोकसभा क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र की आबादी आठ करोड़ है। प्रतापगढ़, इलाहाबाद, बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, छत्रपतिशाहूजी महाराजनगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बस्ती, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, संतरविदासनगर, वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, कौशांबी, श्रावस्ती, बलरामपुर, संतकबीरनगर और चंदौली जिले को मिलाकर पूर्वाचल राज्य बनाने की मांग चल रही है।

पश्चिम के मुकाबले पूर्वाचल बदहाल : पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वाचल में विकास के धरातल पर काफी असमानता है। पश्रि्वम में एक लाख की आबादी पर 682 लोग पंजीकृत कारखानों में लगे हैं, जबकि पूर्वाचल में यह संख्या केवल 99 है। पूर्वाचल में प्रति व्यक्ति कृषि उपज का सकल मूल्य 3136 है, जबकि पश्चिम में 6326 है। इसी तरह पूर्वांचल में प्रति व्यक्ति औद्योगिक उत्पादन का सकल मूल्य 1931 है, जबकि पश्चिम में 10256 है। यह विषमता विभिन्न क्षेत्रों में झलकती है।

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